Tuesday, January 20, 2009

" वक्त नही"

हर खुशी है लोगों के दामन मैं, पर एक हंसी के लिए वक्त नही!
दिन रात दोड़ती दुनिया मैं , जिंदगी के लिए ही वक्त नही!!

माँ की लोरी का एहसास तो है , पर माँ को माँ कहने का वक्त नही!
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके , अब उन्हें दफ़नाने का भी वक्त नही!!

सारे नाम मोबाइल मैं हैं , पर दोस्ती के लिए वक्त नही!
गैरों की क्या बात करें , जब अपनों के लिए ही वक्त नही!!

आंखों में है नींद बड़ी , पर सोने का वक्त नही!
दिल है ग़मों से भरा हुआ , पर रोने का भी वक्त नही!!

पैसों की दौड़ में ऐसे दौडे , की थकने का भी वक्त नही!
पराये एहसासों की क्या कद्र करें , जब अपने सपनो के लिए ही वक्त नही!!

तू ही बता ऐ जिंदगी , इस जिंदगी का क्या होगा?
हर पल मरने वालों को , जीने के लिए भी वक्त नही .........

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